रविवार, 10 अक्टूबर 2010

9अक्टूबर को चे का स्मृति दिवस- महान क्रांतिकारी चेग्वारा की विरासत -1- फिदेल कास्त्रो

           (महान क्रांतिकारी चेग्वारा 14जून 1928-9 अक्टूबर 1967)   
प्रिय भाइयो और बहनो, छात्रो, मजदूरो बल्कि मैं तो कहूंगा कि साथी अर्जेण्टीनियाइयो : मेरी बहुत उम्र हो चुकी है। लेकिन मैंने इस तरह के जोखिम भरे भावुक आयोजन की भी कल्पना नहीं की थी ।
मैं आपको बताना चाहता हूं कि इस समय दसियों ला क्यूबावासी इस आयोजन को दे रहे हैं । अपने अवाम की ओर से मैं बहुत शुक्रगुजार हूं। विचारों, सचाई और न्यायोचित ध्येय से आई ताकत जनता को अजेय बना देती है।
छात्रों तथा विश्वविद्यालय प्राधिकारियों ने मुझे बताया था कि वे इस लॉ स्कूल में एक छोटी सी बैठक आयोजित कर रहे हैं। यह बैठक सायं 7 बजे शुरू होगी तथा एक थियेटर में बैठे छात्र इसमें हिस्सा लेंगे। यदि अधिक लोग आ गए तो वे बाहर एक स्क्रीन लगा देंगे ताकि बाहर बैठे लोग भी इसे दे सकें।
मैं अपने कामरेडों को प्यार से झिड़कना चाहता था। मैं उनसे कहना चाहता था कि 'आपने अर्जेंटिनियाई लोगों के बारे में सही अनुमान नहीं लगाया है।'  हमें बर मिल रही थी कि थियेटर भर गया है, वहां क्षमता से दुगुने लोग आ गए हैं, गलियारे में जगह नहीं है, प्रवेश कक्ष भर चुका है और अब सीढ़ियां भर रही हैं। उन्होंने कहा कि 1000, 2000, 3000 लोग हैं। फिर टेलीविजन यहां के दृश्य दिखाने लगा। हम भी लोगों की संख्या का अनुमान लगा सकते हैं। कुछ दृश्यों को दे¹कर मुझे ऐसा लगा कि जैसे यह क्यूबा का रेवोल्यूशन स्क्वायर हो । सब संचार माध्यम तथा मार्ग अवरुध्द हो गए थे। लेकिन सौभाग्य से ये छोटे से उपकरण जो इतना शोर करते हैं और परेशानी बन जाते हैं, मेरा मतलब ये सेल फोन, ऐसे मौकों पर अच्छा काम देते हैं। इनसे स्थिति का पता चलता रहता है।
हमारा राजदूत, जो खुद भी कम अनुमान लगाने का दोषी है ,मैं जानता हूं कि आप उनकी पैरवी करेंगे क्योंकि वह अर्जेंर्टीनियाई लोगों से बहुत प्यार करता है । बैठक हाल में ही बैठे अपने परिवार के साथ सेल फोन पर बात कर रहा था। वहां कुछ बच्चे भी थे, क्योंकि उन्हें यकीन था कि यह बहुत शांतिपूर्ण आयोजन होगा। और यह ऐसा ही आयोजन है, है कि नहीं? किसी ने कल्पना भी नहीं की थी इतना अच्छा बंदोबस्त किया जाएगा। कोई हिल भी नहीं सकता था, जो जहां था वहीं फंस गया। केवल सेल फोन से बात हो रही थी। उन्होंने बताया कि भीतर घुसना असंभव है। लेकिन मैं अपने वायदे से पीछे नहीं हट सकता था। किसी भी स्थान पर हालात जैसे भी हों और भारी भीड़ के कारण चाहे जितनी बाधा हो, मैं आपसे मिलने के सम्मान और गौरव को नहीं छोड़ सकता।
मुझे बताया गया कि यह असंभव है, लेकिन मैं यह कहता रहा कि कुछ भी असंभव नहीं है। यह केवल एक दिक्कत थी जिसे दूर किया जाना था। मैं वहां बैठकर समाचारों का इंतजार नहीं कर सकता था। मैं जीवन भर दिक्कतों के बीच घूमता रहा हूं और मैं इस विश्वविद्यालय में आए बगैर जहाज नहीं पकड़ सकता था।
मैं यहां एक आगंतुक हूं और मुझे कानून तथा व्यवस्था का सम्मान जरूर करना चाहिए। मुझे ऐसा कुछ भी करने का अधिकार नहीं है जिससे इस देश के नियमों का तनिक भी उल्लंघन होता हो।
मैं यह मानता हूं कि समाधान खोजने में प्राधिकारियों ने पूरा सहयोग दिया है।
मुझे लॉ स्कूल से रिपोर्ट मिलती रही और वे हमें बताते रहे कि 'कोई भी हॉल से बाहर नहीं जा रहा।' वे सब और धीरे-धीरे आगे सरक रहे हैं। बीच-बीच में कहीं पर कुछ टूट जाता था। एक बात माननी पड़ेगी कि अर्जेंटीनियाइयों की इस देशभक्त और क्रांतिकारी सेना द्वारा खिड़कियों को पहुंचाए गए नुकसान में हमें अपना हिस्सा देना होगा या हमें अकेले उसकी भरपाई करनी होगी ।
हमने अपने शिष्टमंडल के युवा सदस्य, अपने विदेश मंत्री से बात की। आपने अभी उन्हें देखा और उनकी बात सुनी। मैंने उनसे कहा, 'आप वहां जाओ, कैसे भी अंदर प्रवेश करो तथा थियेटर में लोगों से बात करो। आप उन्हें स्थिति के बारे में समझाओ और बताओ कि हम वहां बैठक नहीं कर सकते।' क्योंकि यह डर ठीक ही था कि यदि वहां आयोजन हुआ और बाहर स्क्रीन रही तो अपनी मर्जी से बाहर निकले लोग वापस कमरे में जाने की कोशिश कर सकते हैं। इसलिए उन्हें बाहर सीढ़ियों पर जाने और वहां आयोजन के लिए राजी करना जरूरी था।
हम बड़ी बेचैनी से इंतजार कर रहे थे। अपने दूत की बात सुनने के हमारे पास दो ही साधन थे : टेलीजिवन क्योंकि कुछ नेटवर्क उसके शब्दों का प्रसारण कर रहे थे तथा सेल फोन। हम उन्हें लोगों को बाहर जाने के लिए प्रेरित करते हुए देरहे थे।
शीघ्र ही हमें लोगों की समझने, सहयोग करने की क्षमता का पता चला क्योंकि कुछ ही मिनट बाद उसने मुझे बताया कि 'वे बाहर सीढ़ियों की ओर जा रहे हैं।'
लेकिन एक और समस्या रह गई थी और वह थी टेलीविजन कैमरों और माइक्रोफोनों की। (कोलाहल) सुनिए अब कैमरों से न झगड़ें। (उनसे किसी ने कुछ कहा।) हां मैं जानता हूं, जानता हूं। मैं सब सुन रहा था। लेकिन वे यहां की घटनाओं के विषय में रिपोर्ट करना चाहते थे। इसलिए मुझे कोई शिकायत नहीं है। उन्हें यहां रना होगा अन्यथा यहां जो कुछ हो रहा है, उसके बारे में केवल आप ही जान पाएंगे।
उदाहरण के लिए इन कैमरों और इन उपकरणों के बगैर हमारे लोग इस आयोजन को नहीं दे पाएंगे। इस वजह से देर हुई। क्या आप जानते हैं कि अधीरता की स्थिति में एक घंटा कितना लंबा लगने लगता है? आप सबने, हमने अधीरता के इस लंबे, अंतहीन घंटे को बर्दाश्त किया है क्योंकि प्रेस द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इन माइक्रोफोनों, लाउडस्पीकरों तथा उपकरणों को फिर से लगाया जाना था। इस आयोजन के लिए पहले ये भीतर लगाए गए थे। उन्होंने रिकार्ड समय में यह कार्य पूरा कर लिया।
हमने उनसे पूछा कि क्या हो रहा है। उस समय रात्रि के 8:40 बजे थे। उन्होंने हमें बताया कि 'सब कुछ तैयार है और हम शीघ्र यहां आ जाएं।' सर्दी भी है। लेकिन आप लोगों की गर्मजोशी को देते हुए यह सर्दी कुछ भी नहीं है ।
उन्होंने मुझे यह पहना दिया है, मुझे इसकी जरूरत नहीं है। मैं इसे उतार रहा हूं, इसे यहां पहनने के लिए मैं शर्मिंदा हूं (उन्होंने अपना कोट उतारा)।
यहां समय पर पहुंचने के लिए हम तुरंत चल पड़े। लोगों ने जो बंदोबस्त किया है, वह वास्तव में ही चमत्कार है। आपने आज रात यहां जो किया है उसे हम कभी नहीं भुला पाएंगे। हम यहां से बहुत खुश और हमेशा के लिए कृतज्ञ होकर जाएंगे।
आपने हमें जो सम्मान दिया है उसे देते हुए कृतज्ञता की बात कुछ लोगों को ढकोसला लग सकती है। ऐसी बात नहीं है। मैं हमेशा के लिए कृतज्ञता की बात इसलिए कर रहा हूं कि जो लोग हमारे देश पर, हमारे शहरों पर हमले का सपना दे रहे हैं उन्हें ब्यूनोस आयरस के लोगों ने एक संदेश भेज दिया है। (करतल ध्वनि तथा 'क्यूबा, क्यूबा, क्यूबा, लोगों का सलाम' और 'बुश, तुम फासीवादी, तुम आतंकवादी हो' के नारे और कोलाहल।) आप उन लोगों को संदेश भेज रहे हैं जो न केवल क्रांति बल्कि क्रांति लाने वाले लोगों को नष्ट करने का सपना देरहे हैं। एक संदेश उनके लिए भी है जिन्होंने चालीस साल से भी अधिक समय से हमारे देश के खिलाफ चल रही नाकाबंदी, हमलों और धमकियों का मुकाबला किया है।
ऐसे हालात में आप मरने वाले बच्चों या मरने वाली मांओं या मरने वाले वृद्धों या मरने वाले युवाओं और मरने वाले बालिगों की ही गणना नहीं करेंगे। कई बार जीवित बच्चे, लोग इतने क्षत-विक्षत होते हैं कि हमारे विचार से उनका मर जाना 100 गुना अच्छा होता। इस तरह की तबाही मचाने का कोई वास्तविक कारण, अधिकार या कोई औचित्य नहीं होता। यह अंतर्राष्ट्रीय मानकों और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन होता है जिनका हमारे हिसाब से दुनिया पर शासन होना चाहिए। लेकिन हम यह पहले ही समझ चुके हैं कि इस दुनिया में कानून का सम्मान नहीं होता। अब ताकत ही कानून है। इसी के जोर पर हमारे लोगों को अधीन बनाया जाता है, हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा किया जाता है और पूरी दुनिया पर नाजीवादी-फासीवादी तानाशाही लादी जाती है। यह कोई अतिशयोक्ति या बढ़-चढ़ कर की गई बात नहीं है। हम पहले ही सुन चुके हैं कि 60 या उससे अधिक देशों पर पूर्व हमला हो सकता है। इतिहास में पहले किसी व्यक्ति, किसी साम्राज्य ने ऐसी धमकी नहीं दी थी ।
दुनिया के किसी भी अंधेरे कोने पर हमले की तैयारी की बात हुई। मैंने पहले कभी ऐसी बात नहीं सुनी। युद्ध के हर हथियार, चाहे वह जैव हथियार हो, रासायनिक हथियार हो या परमाणु हथियार, के प्रयोग की बात हुई। ऐसे अत्यंत परिष्कृत हथियारों के प्रयोग की बात भी हुई जो किसी मानक से अब परंपरागत हथियार नहीं रह गए हैं क्योंकि वे हर तरह से तबाही मचाते हैं। हमने सोचा कि दुनिया के देशों को धमकी देने का किसी को क्या अधिकार है?(क्रमशः)


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