शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

गुलामी का कलंकित रूपः हम क्या करें ?

          (तमिलनाडु के इत्तीग्राम की कांटेदार नाकेबंदी)
        तमिलनाडु राज्य के किशनगिरी से करीब 15 किलोमीटर दूर इत्तीग्राम में एक हरिजन बस्ती है। इस बस्ती में रहने वाले दलितों को मुख्यमार्ग से काटकर कांटे के तारों से इलाके को हिन्दुओं ने घेर दिया है। यह माना जा रहा है इस कांटेदार नाकेबंदी को गांव प्रधान के इशारों पर कुछ स्थानीय दलित विरोधी लोगों ने लगाया है। यह खबर दैनिक अखबार ‘हिन्दू’ (15 अक्टूबर 2010) में छपी है। यह दलितों के स्वाभिमान,स्वतंत्रता और अस्मिता पर सीधा हमला है। इस घटना की सूचना मिलते ही  भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के विधायक एस.के.महेन्द्नन ने मौके पर जाकर का मुआयना किया और स्थानीय प्रशासन से कहा है कि एक सप्ताह के अंदर दलित बस्ती के चारों ओर लगाई गई कांटों की बाढ़ को यदि नहीं हटाया गया तो माकपा के कैडर सीधे कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे। 
    हम इस इलाके के दलितों से यही कहना चाहते हैं कि वे स्वयं प्रतिवाद करें,बाहर आएं और कांटेदार बाढ़ को उखाड़ फेकें। यह कांटे की बाढ़ नहीं है बल्कि दलित गुलामी के अवशेष का प्रतीक है। हमें यदि सुंदर और आधुनिक भारत बनाना है तो हमें सभी किस्म के सांस्कृतिक गुलामी के रूपों को नष्ट करना होगा। आधुनिक भारत के निर्माण में जाति गुलामी आज भी सबसे बड़ी बाधा है। जाति गुलामी के कारण हम किसी किस्म की आजादी,आधुनिकता और नागरिक स्वतंत्रताओं का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। जाति गुलामी भारत का सबसे बड़ा कलंक है। इससे भारत को जितनी जल्दी मुक्ति मिले उतना ही जल्दी भारत का उपकार होगा।        
  इस प्रसंग में यह सवाल उठता है कि आखिरकार आजादी के 60 साल बाद भी हमारे देश में शूद्रों  के साथ दुर्व्यवहार क्यों किया जाता है ? क्या वजह है कि कहीं पर भी हरिजनों को जाति उत्पीड़न का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है ? कहने के लिए कांग्रेस यह दावा करती है कि वह दलितों की चैम्पियन है,मायावती भी चैम्पियन हैं और भी दल चैम्पियन होने का दावा करते हैं ,इसके बावजूद हरिजनों की उपेक्षा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।
      इस प्रसंग में मैं आम्बेडकर के एक सुझाव को संशोधन के साथ पेश करना चाहता हूँ। प्रत्येक राजनीतिक दल अपने सदस्य को एक दलित बच्चे को पढ़ाने का दायित्व सौंपे। कम से कम सप्ताह में एकबार वह अपने यहां एक दलित को चाय-पानी पर बुलाए,दलित के बच्चे को विद्यार्थी की तरह पढ़ाए। किसी अस्पृश्य को अपने यहां काम पर रख ले और उससे मानवीय व्यवहार करे। जो व्यक्ति ऐसा करे उसे ही कांग्रेस,भाजपा, कम्युनिस्ट पार्टी, डीएमके,अन्नाडीएमके,टीएमसी,जदयू आदि दलों की सदस्यता दी जाए। राजनीतिक दल की सदस्यता को अछूतोद्धार के साथ जोड़ने से सामाजिक असंतुलन दूर करने में मदद मिलेगी।





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