दुनिया का दौरा करके हम अभी लौट रहे हैं। इस दौरे में हमें एक क्षण का भी आराम नहीं मिला। यह दौरा जरूरी था। इराक में युध्द के लगभग निश्चित खतरे तथा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संकट के गहराने के बीच 24 और 25 फरवरी को क्वालालंपुर, मलेशिया में महत्वपूर्ण शिखर बैठक थी। शिखर बैठक से पहले और बाद में वियतनाम और चीन में बहुत सारे नजदीकी दोस्तों से मिलना था। जापान से भी बहुत से महत्वपूर्ण और मूल्यवान मित्रों से निमंत्रण मिला था इसलिए वहां रुकना भी जरूरी था। इन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 5 मार्च को राष्ट्रीय एसेंबली का गठन, एसेंबली और कौंसिल ऑफ स्टेट के नेतृत्व और उनके अध्यक्षों तथा उपाध्यक्षों का चुनाव होना था।
मौसम की वजह से हम 3 मार्च को हिरोशिमा से नहीं निकल पाए। इस बिलंब को देखते हुए हमने क्यूबा में अपने कामरेडों से कहा कि वे बैठक को 6 मार्च तक के लिए स्थगित कर दें।
मुझे हवाई जहाज से लौटते हुए ये पंक्तियां लिखनी पड़ीं। इन दिनों दुनिया की यात्रा आसान नहीं है। यह यात्रा समझदारी से करना, फ्लाइट योजनाओं के बारे में बताना और आवश्यक प्राधिकरण आदि के लिए इंतजार करना और भी मुश्किल है। आई एल-62 जहाजों की उम्र, उनके फ्लाइट उपकरणों, उनके ईंधन उपभोग तथा शोर के कारण उनमें यात्रा और भी जटिल हो जाती है। जब वे हवाई पट्टी पर उतरते हैं या उड़ने के लिए पट्टी पर दौड़ते हैं तो बहुत शोर करते हैं। लेकिन वे उड़ते जरूर हैं और जब उड़ते हैं तो उतरते भी अवश्य हैं।
32 साल पहले जब मैं चिली के राष्ट्रपति साल्वाडोर अलेंदे से मिलने गया तो ऐसे ही जहाज में बैठा था। तब से मैं इन जहाजों में बैठ रहा हूं। ये पुराने सोवियत ट्रैक्टरों की तरह मजबूत हैं जिन्हें मानो क्यूबाई चालकों की परीक्षा के लिए ही इनके पायलट ओलंपिक चैंपियन हैं। इनकी मरम्मत करने वाले टेक्नीशियन और मैकेनिक दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं। हम पूरी दुनिया में दूसरी बार इस जहाज में घूमे हैं। मैं पूरी गंभीरता के साथ पूर्व सोवियत संघ की इन मशीनों की तारीफ करता हूं। मैं उनका आभारी हूं और साथी क्यूबावासियों और पर्यटकों से आग्रह करता हूं कि इन जहाजों में यात्रा करें। ये दुनिया के सर्वाधिक सुरक्षित जहाज हैं। मैं इसका जीता जागता प्रमाण हूं।
इस दुनिया में आज आप किसी चीज को बहुत गंभीरता से नहीं ले सकते। यदि आपने ऐसा किया तो दिल के दौरे या दिमाग की नस फटने का खतरा पैदा हो जाएगा।आवश्यक यात्रा रिपोर्ट हमारा शिष्टमंडल 19 फरवरी को आधी रात से थोड़ा पहले रवाना हुआ। रास्ते में हम केवल पेरिस में ही रुक सकते थे। वहां हम थोड़ी देर के लिए रुके। हमें शहर में एक होटल में थोड़ी देर के लिए विश्राम करना था। जगह बेकार थी। मैं सो नहीं सका। मैंने एक ऊंची मंजिल पर जाकर इस सुंदर और प्रसिध्द शहर के कुछ हिस्सों को देखा। मैंने तीन से छह मंजिली इमारतों की छतों को देखा। उनमें कलाकारी की गई लगती थी। मैं यह जानना चाहता था कि 150 साल पहले उन्हें किस चीज से बनाया होगा।
मैंने हवाना और उसकी समस्याओं को याद किया। ये इमारतें सफेद भूरे रंग की थीं। किसी ने मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं दिया। कुछ किलोमीटर दूर एक जबर्दस्त भवनसमूह था जिसने सौंदर्य भंग कर दिया था। दाईं ओर दफ्तर तथा रहने के लिए बनाई गई ऊंची इमारतों ने नजारा खराब कर दिया था। मुझे क्रांति से कुछ महीने पहले एक समय सरकार के उपनिवेशी महल रहे भवन के पीछे बनाए गए हेलीपार्ट की याद आ गई। मुझे पहली बार हर किसी के प्रशंसा पात्र एफिल टावर और लार्क द त्रिम्फे बेइज्जत और बौनी चीजें लगीं। मुझे अचानक लगा कि मैं कुंठित शहर नियोजक हूं। पेरिस में मैंने न किसी को बुलाया और न किसी से बात की। जब मैं वहां से चला तो फ्रांस की शानदार क्रांति और उनका शौर्यपूर्ण इतिहास, जिसके बारे में मैंने युवावस्था में पढ़ा था, मेरे जहन में मौजूद था। अमरीकी सरकार के अपमानकारी एकतरफा आधिपत्य के खिलाफ उसके वीरतापूर्ण रुख की मैंने मन ही मन प्रशंसा की।
हम चीन के सुदूर पश्चिम क्षेत्र में उरुमुकी में रुके। वास्तुकला की दृष्टि से यह बहुत सुंदर हवाई अड्डा था। दोस्ताना मेहमाननवाजी। परिष्कृत संस्कृति। दस घंटे उपरांत सूर्यास्त के बाद हम अपने प्रिय तथा वीर वियतनाम की राजधानी हनोई पहुंचे। पिछली बार आठ साल पहले 1995 में जब मैं यहां आया था, उसके बाद यह शहर काफी बदल गया था। गलियों में चहल-पहल और भरपूर रोशनी थी। पैरों से चलने वाली एक भी साइकल नजर नहीं आई। उनकी जगह मोटरसाइकलों ने ले ली थी। गलियों में कारे ही कारें थीं। इसके भविष्य, ईंधन, प्रदूषण और अन्य विपत्तियों के बारे सोचकर मुझे थोड़ी तकलीफ हुई।
हर जगह सुख-साधन संपन्न होटल बन गए थे। कारखानों की तादात बहुत बढ़ गई
थी। उनके विदेशी मालिक प्रबंधन के कड़े पूंजीवादी नियमों का पालन करते हैं। लेकिन यह कम्युनिस्ट देश है जो कर वसूल करता है, आय वितरित करता है, नौकरियां पैदा करता है, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधा का विकास करता है तथा साथ ही अपनी शान और परंपराओं की दृढ़ता के साथ रक्षा करता है। तेल, कोयला से बिजली बनाने वाले संयंत्र, पनबिजली संयंत्र तथा अन्य बुनियादी उद्योग सरकार के हाथों में हैं। उत्कृष्ट मानव क्रांति। जो क्रांति के सृजक रहे हैं उनको बहुत सम्मान दिया जाता है। हो चि मिन्ह बहुत बुलंद मिसाल हैं और रहेंगे।
मैंने मेधावी रणनीतिज्ञ गुएन गियाप के साथ विस्तार से बात की। उनकी याददाश्त उत्कृष्ट है। मैंने उदासी तथा अनुराग के साथ महान व्यक्तियों को याद किया जैसे कि फाम वान डोंग तथा अन्य जो गुजर चुके हैं लेकिन लोगों के अनंत स्नेह के पात्र हैं। पुराने और नए नेताओं में असीम प्यार और दोस्ती है। सभी क्षेत्रों में हमारे संबंध प्रगाढ़ और विस्तृत हुए हैं।
हम दोनों देशों की स्थितियों में अंतर विचार योग्य है। हम ऐसे पड़ोसियों से घिरे हैं जिनके पास हमें देने के लिए कुछ भी नहीं हैं। विशेष रूप से एक पड़ोसी, दुनिया का सबसे अमीर राष्ट्र हमारे खिलाफ जबर्दस्त नाकाबंदी किए हुए है। लेकिन हमारा भी दृढ़ इरादा है कि हम अपने देश के धन और लाभों का अधिकतम हिस्सा वर्तमान तथा भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखेंगे लेकिन ये मतभेद हमारी सुंदर और शाश्वत मित्रता का किसी भी रूप में अतिक्रमण नहीं करते।
वियतनाम से हम मलेशिया गए। यह अद्भुत देश है। इसके विशाल प्राकृतिक संसाधन और असाधारण रूप से प्रतिभा संपन्न नेता, जिसने बेलगाम पूंजीवाद के विकास से स्वयं को दूर रखा, इसकी प्रगति के कारण हैं। उन्होंने तीन मुख्य प्रजाति समूहों अर्थात मलयों, भारतीयों और चीनियों में एकता कायम की। औद्योगिक देश जापान तथा दुनिया के दूसरे देशों ने आकर्षित होकर यहां निवेश किया। कड़े नियम और विनिमय लागू किए गए। धन का यथासंभव न्यायपूर्ण वितरण हुआ। देश ने 30 वर्षों में बड़ी तेजी के साथ विकास किया। शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधा की ओर ध्यान दिया जाता है। देश में शांति रही। वियतनाम, जापान, लाओस और कंबोडिया की तरह उस पर पहले उपनिवेशवाद और फिर साम्राज्यवाद का हमला नहीं हुआ।
दक्षिण पूर्वी एशिया में आए प्रलयंकारी संकट ने जब मलेशिया पर आघात किया तो उसने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक तथा ऐसे ही अन्य संगठनों की बात मानने से इनकार कर दिया तथा मुद्रा विनिमय नियंत्रण लागू किए और पूंजी पलायन को रोककर देश और उसकी दौलत को बचाया। यह हमारे गोलार्ध में लंबे समय से दु:ख उठा रही दुनिया से अलग दुनिया है। मलेशिया ने वास्तविक राष्ट्रीय पूंजीवाद का विकास किया है जिसने आय में व्यापक विषमता के बावजूद लोगों का कल्याण किया है। देश का बहुत सम्मान है। पश्चिम तथा नई आर्थिक व्यवस्था के लिए वह सिर दर्द और गलत मिसाल बन गया है।
चीन। वहां हम दोपहर को पहुंचे। वियतनाम की तरह ही क्यूबाई शिष्टमंडल को इतना ध्यान और सम्मान कहीं नहीं दिया गया। 26 फरवरी को सरकारी स्वागत, रात्रि भोज। पार्टी और सरकार के पूर्व और वर्तमान नेताओं, जिनमें से कुछ अभी भी शासन में हैं, जियांग जेमिन, हु जिंताओ, लि पेंग, झू रोंग जी, वेन जिआबाओ और उनके सहायकों से भेंट। एक के बाद एक, यह सिलसिला 27 तारीख तक चलता रहा। 28 फरवरी की सुबह बीजिंग टेक्नोलॉजी पार्क का दौरा। इसके बाद पांडा टेलीविजन फैक्टरी देखने के लिए राष्ट्रपति जियांग जेमिन के साथ ननजिंग का दौरा। अपने जीवन में पहली बार जंबो जैट में बैठा। जियांगसु प्रांत के पार्टी प्रधान सचिव के साथ बैठक। शंघाई के लिए प्रस्थान। विदाई।
वियतनाम और चीन में क्यूबाई शिष्टमंडल का आतिथ्य सत्कार क्रांति के पूरे इतिहास में अभूतपूर्व है। यह वास्तव में विशिष्ट अतिथियों, व्यक्तियों, सच्चे मित्रों के साथ विस्तार से और गहराई के साथ बात करने का अवसर था। इससे हमारे देशों के बीच दोस्ती और मजबूत हुई। क्यूबाई क्रांति के जिन दिनों उसके टिक पाने में किसी का भी विश्वास नहीं था उन बहुत मुश्किल दिनों में चीन और वियतनाम हमारे बहुत अच्छे दोस्त थे। आज उनके अवाम और उनकी सरकारें इस छोटे से देश को आदर देते हैं तथा उसकी प्रशंसा करते हैं जो अपनी जबर्दस्त शक्ति से पूरी दुनिया पर आधिपत्य कायम कर लेने वाली एकमात्र महाशक्ति के निकट स्थित होने के बावजूद दृढ़ता के साथ खड़ा है।
हममें से कोई एक व्यक्ति इस आदर का हकदार नहीं है। यह उन बहादुर और यशस्वी लोगों को मिलना चाहिए जिन्होंने पूरी गरिमा के साथ अपना कर्तव्य पूरा किया।
हमारी बातचीत द्विपक्षीय हित के मुद्दों और हमारे आर्थिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संबंधों में नवीनतम बदलाव तक ही सीमित नहीं थी। हमने आज के सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर पूरी दिलचस्पी, बेबाकी और आपसी समझ के साथ बात की। (जारी है)
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