(जनकवि स्व.बाबा नागार्जुन)
यह क्या हो रहा है जी ?
आप मुँह नहीं खोलिएगा !
कुच्छो नहीं बोलिएगा !
कैसे रहा जाएगा आपसे ?
आप तो डरे नहीं कभी अपने बाप से
तो बतलाइए,यह क्या हो रहा है ?
कौन पा रहा है, कौन खो रहा है ?
प्लीज बताएँ तो सही...
अपनी तो बे-कली बढ़ती जा रही
यह क्या हो रहा है जी
प्लीज बताएं तो सही....
नागार्जुन-
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