शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010

फेसबुकजनित सामाजिक खतरे

        फेसबुक ने इंटरनेट यूजरों को घेरा हुआ है। जो लोग यह सोच रहे थे कि इंटरनेट के जमाने में सर्च का भविष्य होगा उन्हें फेसबुक ने दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। जिस गति और जितनी बड़ी तादाद में फेसबुक ने अपने सदस्य बनाए हैं उसने एक संदेश दिया है भविष्य सर्च का नहीं फेसबुक होगा।
    फेसबुक ने इंटरनेट पर विज्ञापन का भी भावी रास्ता तय कर दिया है। इंटरनेट वाले जानते नहीं थे कि उनके यूजर कहां हैं और कौन हैं,लेकिन फेसबुक ने इस असमंजस की अवस्था को भी खत्म कर दिया है। अब इंटरनेट पर फेसबुक सबसे प्रभावी विज्ञापन मंच है। फेसबुक के सदस्य को विज्ञापनदाता व्यक्तिगत तौर पर खूबियों और अभिरूचियों के आधार पर जान सकता है और टारगेट बना सकता है।
     आज आप फेसबुक पर पढ़ते हुए ऑडियो सुन सकते हैं,फिल्म देख सकते हैं,साथ ही और भी अन्य कार्य-व्यापार कर सकते हैं। फेसबुक ने तेजी से इंटरनेट यूजरों की जीवनशैली पर असर डालना आरंभ कर दिया है।
      फेसबुक सबसे कष्टकारी पहलू है उसका नियमों का पाबंद बनाना। फेसबुक में जब आप हैं तो आपकी निगरानी फेसबुक कर रहा है। वह आप पर नजर लगाए रहता है कि आप क्या कर रहे हैं। वह आपकी प्राइवेसी का अपहरण कर लेता है।
    फेसबुक की खूबी है कि वह आज इंटरनेट के केन्द्र में है। आप फेसबुक पर क्या कर रहे हैं,क्या पसंद करते हैं,कहां जाते हैं.कहां टिप्पणी देते हैं, किसे दोस्त बना रहे हैं या कौन दोस्त बन रहा है। आपकी सारी गतिविधि सामाजिक हैं। अब सामान्य चीज की खोजबीन को यदि फेसबुक के जरिए करते हैं तो आप सार्वजनिक मंच पर होते हैं। फेसबुक के बटन असल में सामाजिक नियंत्रण और निगरानी की चाभी हैं। आज फेसबुक का जलवा है और वेब और प्राइवेसी की वह खिल्ली उड़ा रहा है।
    भारत की खूबी है कि यहां पर संचार क्रांति आधे-अधूरे ढ़ंग से हुई है। हम नहीं जानते कि प्राइवेसी क्या है ? सार्वजनिक क्या है? संचार माध्यम से कैसे रिश्ता बनाएं ? किस तरह का रिश्ता बनाएं ? इसके कारण फेसबुक और दूसरी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर असभ्य और अश्लील बातों और टिप्पणियों के द्वारा परेशानी हो रही है। एक अच्छा खासा सामाजिक समूह ऐसे लोगों का फेसबुक में रमण कर रहा है जो सेक्स उद्योग से जुड़ा है।
    इसके अलावा निजी क्या है ? उसे किस तरह व्यक्त करें ? किस बात को सार्वजनिक करें आदि बातों को समझने और देखने का हमारे यूजरों के पास बोध कम है। इसका ही दुष्परिणाम है कि निजी में सार्वजनिक और सार्वजनिक में निजी चला आ रहा है और इसके कारण कानूनी पचड़े भी सामने आ सकते हैं।
     अमेरिका में जहां पर फेसबुक के सबसे ज्यादा सदस्य हैं,वहां पर अनेक लोगों ने अपनी फेसबुक की सदस्यता को खत्म कर दिया है। अनेक उपभोक्ता संगठनों के द्वारा शिकायतें दर्ज करायी गयी हैं। बड़ी मात्रा में सदस्यों की प्राइवेसी के लिए खतरा पैदा हो गया है। आम नागरिक परेशान हैं कि उनके प्राइवेट डाटा का दुरूपयोग हो रहा है। उपभोक्ता संगठनों के द्वारा की गई शिकायतों में 50 फीसदी फेसबुक सदस्यों ने ‘खतरनाक व्यवहार’ की शिकायत की है।
     अनेक सोशल नेटवर्क इस्तेमाल करने वालों ने कहा है कि इसका इस्तेमाल करने से कोई खास लाभ नहीं हो रहा है। बल्कि इसका उपयोग करने से लक्ष्य की पूर्ति नहीं होती। फेसबुक की व्यवस्थाओं का यदि बेहतर रूप में इस्तेमाल करना जानते हैं तो प्राइवेसी और अपने डाटा को बचा सकते हैं।  अमेरिका के 15 उपभोक्ता संगठनों ने अपनी शिकायत में कहा है कि - ‘‘Facebook now discloses personal information to the public that Facebook users previously restricted. Facebook now discloses personal information to third parties that Facebook users previously did not make available. These changes violate user expectations, diminish user privacy, and contradict Facebook’s own representations. These business practices are Unfair and Deceptive Trade Practices.’’
 इस शिकायत में खास तौर पर   “instant personalization” को निशाना बनाया है जिसके कारण फेसबुक सदस्यों के डाटा का दुरूपयोग हो रहा है।
अमेरिका की एक उपभोक्ता सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि 52 प्रतिशत लोग मानते हैं कि उनके साथ फेसबुक पर जोखिमभरा व्यवहार हुआ है। जनवरी 2010 में ऑनलाइन के जरिए दो हजार लोगों में किए सर्वे से पता चला है कि 9 प्रतिशत लोग ऑनलाइन दुर्व्यवहार के शिकार हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन पर घर का पता लिखा होना स्वयं में एक जोखिम है। इसके अलावा परिवारी सदस्यों के फोटोग्राफ वगैरह लगाना भी जोखिम में डालना है। इसके अलावा जन्मतिथि,आप कहां जाते हैं,कहां घूमने गए थे,कहां -कहां क्या-क्या करते रहे हैं,ये सब जोखिम के दायरे में आ गया है।
     यह भी देखा गया है कि फेसबुक लोग जल्दी दोस्त बना लेते हैं और फिर जल्दी ही वायदे भी करने लगते हैं। इस तरह के वायदे खतरनाक हो सकते हैं,नुकसान पहुँचा सकते हैं। इस अर्थ में एक डच कंपनी के द्वारा सोशल नेटवर्किंग साइट के बारे में कराए सर्वे में कहा गया है कि इस तरह की साइट के द्वारा बने सामाजिक संबंधों में गहराई नहीं होती,वे सतही होते हैं। जो लोग सोचते हैं कि ये वास्तव सामाजिक संबंधों का विकल्प हैं तो वे गलत हैं। वास्तव सामाजिक संबंधों का सोशल नेटवर्क से बने संबंध विकल्प नहींहोसकते। बल्कि यह उसके पूरक की भूमिका मात्र निभा सकता है।
    फेसबुक की ताजा नई खबर यह है कि उसने वर्चुअल करेंसी उधार पर देने की व्यवस्था कर दी है। इस तरह का प्रोग्राम विकसित किया गया है कि आप 20 तरीकों से वर्चुअल करेंसी उधार ले सकते हैं और तमाम किस्म के वर्चुअल माल खरीद सकते हैं। फेसबुक ने  PlaySpan  के साथ इस संदर्भ में साझा कारोबार करने का फैसला लिया है। इस क्रेडिट व्यवस्था को अभी 25 से ज्यादा गेम कंपनियां इस्तेमाल कर रही हैं।
फेसबुक और दूसरे सोशल नेटवर्क और अन्य वेबमीडिया रूपों जैसे ब्लॉग,ट्विटर आदि में से किसका यूजर पर ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है इसके बारे में अभी सुनिश्चित ढ़ंग से कुछ भी कहना संभव नहीं है। क्योंकि इस समय सोशल मीडिया और सोशल नेटवर्क के बीच में समायोजन की प्रक्रिया चल रही है। बाजार के बड़े खिलाड़ी इस पर नजर लगाए बैठे हैं। अभी यह देखा जा रहा है कि ट्विटर पर ज्यादा भीड़ है और ब्लॉग पर कम है। यही स्थिति फेसबुक के संदर्भ में भी देख सकते हैं यहां पर भी ट्विटर पर भीड़ ज्यादा है। सोशल मीडिया का आम लोग ट्विटर पर ज्यादा अनुकरण कर रहे हैं। इसका अर्थ यह नहीं है फेसबुक ठंडा हो गया है,जी नहीं,फेसबुक ने समूचे इंटरनेट पर अपना वर्चस्व जमा लिया है और वह धीरे-धीरे अपने दायरों का विस्तार कर रहा है। आज फेसबुक पर 50 करोड़ यूजर 30 बिलियन संदेशों का प्रतिमाह संचार कर रहे हैं। 

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