केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री एस.एस. पलानीमनिकम ने कल राज्यसभा में कहा है कि 100 बड़े उद्योग घराने और कंपनियां हैं जिन्होंने अपना टैक्स अदा नहीं किया है। टैक्स का पैसा इन घरानों और कंपनियों से कैसे वसूल किया जाए, इसके बारे में संबंधित विभागों से जल्दी कार्रवाई करने को कहा गया है। जिन कंपनियों ने टैक्स अदा नहीं किया है वे वस्तुत: कर चोरी के ही दायरे में आती हैं। इसके बावजूद उनके प्रति केन्द्र सरकार का अब तक रूख सहानुभूतिपूर्ण रहा है।
मंत्री महोदय के बयान में बताया गया है कि देश की सौ कंपनियों के पास 1.41 लाख करोड़ का टैक्स बकाया है। यह साधारण राशि नहीं है। बल्कि यह असाधारण राशि है। यह राशि ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा)के लिए सालाना आवंटित राशि से तीन गुना ज्यादा है। इससे एक तथ्य तो यह साफ होता है कि जो कंपनियां और अमीर लोग अथवा कारपोरेट दिग्गज हमारे समाज में हैं वे सबसे बड़े टैक्स चोर हैं। ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ उनका कोई संबंध नहीं है। दूसरा संदेश यह निकलता है कि कारपोरेट संस्कृति के नाम पर जो संपत्तिशाली लोग दिख रहे हैं उनके पास अपनी ईमानदारी की कमाई का पैसा बहुत कम है। उनके पास संपत्ति का जो वैभव संसार नजर आता है उसमें सार्वजनिक संपत्ति की लूट और टैक्स चोरी से हासिल किया गया धन ज्यादा है।
राज्य मंत्री ने राज्यसभा में जिन कंपनियों और कारपोरेट अमीरों के नाम संसद में बताए हैं ,वे इस प्रकार हैं, अकेले हसन अली पर पचास हजार करोड़ का टैक्स बाकी है। टैक्स चोरों की सूची में टाटा,सहारा ग्रुप की कंपनियां,सहारा एयरलाइन ग्रुप (अब जेट एयर लाइन), कोकाकोला, बेरो इंटरनेशनल,ऑरकेल कारपोरेशन,रॉलेक्स होल्डिंग ,आदित्य लग्जरी होटल्स,रिलाएंस एनर्जी, बीएसएनएल,एनटीपीसी,एसबीआई, नॉकिया,देबू मोटर्स, बुंगी लिमिटेड,टाटा इंडस्ट्रीज,सत्यम कम्प्यूटर्स,आईबीएम आदि कंपनियों के नाम प्रमुख हैं।
कारपोरेट घरानों का टैक्स चोरी का रिकॉर्ड और केन्द्र सरकार का उनके प्रति नपुंसक रूख इस बात पर यकीन नहीं दिलाता कि इन कंपनियों से टैक्स वसूली हो पाएगी। आम जनता में इन टैक्स चोर कंपनियों के बारे में व्यापक जनजागरण अभियान चलाकर केन्द्र सरकार और उसके अधीन कर वसूलने वाले विभागों के अधिकारियों को दबाव में लाना चाहिए।
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