इंटरनेट आने के बाद पोर्नोग्राफी का कारोबार बढा है। पहले पोर्न को लेकर शर्म आती थी अब पोर्न निर्भय होकर हमारे घर में घुस आया है। पोर्न के कारोबार में बड़े कारपोरेट घराने शामिल हैं,वे बड़ी निर्लज्जता के साथ पोर्न का धडल्ले से धंधा कर रहे हैं, सरकारी और निजी क्षेत्र की संचार कंपनियां पोर्न से अरबों डालर कमा रही हैं। जब से इंटरनेट आया है और ब्रॉडबैण्ड का कनेक्न आया है तब से हमारी केन्द्र सरकार भी जाने-अनजाने पोर्न का हिस्सा हो गयी है,प्लास्टिक मनी के प्रचलन में आने के बाद हमारी राष्ट्रीयकृत बैंक भी पोर्न की कमाई में शामिल हो चुकी हैं। आज पोर्न सबसे ज्यादा देखा जा रहा है और सबसे कम उस पर बातें हो रही हैं।
भारतीय समाज की विशेषता है कि वह जिन सामाजिक बीमारियों का शिकार है उनके बारे में कभी भी गंभीरता के साथ चर्चा नहीं करता। इंटरनेट आने के बाद पोर्न का जितना तेज गति से विकास हुआ है उतनी तेज गति से किसी भी चीज का विकास नहीं हुआ। पोर्न ने हमारे सामाजिक जीवन में खासकर युवाओं के जीवन में जिस तरह का हस्तक्षेप और दखल शुरू किया है उसे यदि अभी तत्काल नहीं रोका गया तो भारतीय समाज की शक्ल पहचानने में नहीं आएगी।
हमारे देश में बड़े बड़े विद्वान हैं,बुद्धिजीवी हैं,पत्रकार हैं,लेखक हैं, लेखकों, संस्कृतिकर्मियों के संगठन भी हैं लेकिन किसी भी कोने से पोर्न के खिलाफ स्वर सुनाई नहीं पड़ रहा। समाज के जागरूक लोगों की चुप्पी भय पैदा कर रही है। जागरूक लोगों की पोर्न के खिलाफ चुप्पी टूटनी चाहिए। पोर्न पर पाबंदी लगाने के लिए केन्द्र सरकार पर राजनीतिक और सामाजिक दबाव पैदा किया जाना चाहिए कि वह तुरंत पोर्न के प्रसारण पर रोक लगाए ,सभी सर्वर मालिकों से कहा जाए कि वे भारत में पोर्न का प्रसारण न करें। जितने भी सर्वर पोर्न का प्रसारण करते हैं उन्हें भारत सरकार तुरंत बाधित करे,पोर्न देखना, दिखाना और प्रसारित करना गंभीर अपराध घोषित किया जाए।
पोर्न के खिलाफ केन्द्र और राज्य सरकारों का सक्रिय होना बेहद जरूरी है। साथ ही राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक धरातल पर पोर्न के खिलाफ दबाव पैदा करने की जरूरत है।
पोर्न कोई ऐसी चीज नहीं है जिसका असर नहीं होता,पोर्न सबसे प्रभावशाली अस्त्र है किसी भी समाज को अपाहिज बनाने का। पोर्न मूलत: मर्दवाद का विचारधारात्मक अस्त्र है,औरतों के लिए संक्रामक रोग है, पोर्न का प्रसार औरतों के प्रति संवेदनहीन बनाता है। औरतों को निहत्था और जुल्म का प्रमुख लक्ष्य भी बनता है। औरतों को बचाना है तो पोर्न पर पाबंदी जरूरी है, युवाओं और तरूणों को सुंदर भविष्य के हाथों में सौंपना है तो पोर्न के खिलाफ पाबंदी जरूरी है।
पोर्न का कारोबार बहुराष्ट्रीय मीडिया कारपोरेट के मुनाफे की खान है,पोर्न जनता के लिए मीठा जहर है। पोर्न एक तरह से स्त्री को अधिकारहीन बनाने का अस्त्र है। औरतों को भेदभाव और शोषण के खिलाफ जंग करने के अधिकार से वंचित करता है। पोर्नोग्राफी का निर्माण एवं प्रसार लिंगभेद और स्त्री शोषण को वैधता प्रदान करता है। पोर्नोग्राफी स्त्री पर किया गया प्रत्यक्ष हमला है। मर्द के द्वारा पोर्न का इस्तेमाल उसे यह शिक्षा देता है कि औरत समर्पण के लिए बनी है।पोर्न पुरूष में कामुक उत्तेजना पैदा करता है और स्त्री के मातहत रूप को सम्प्रेषित करता है। पोर्न यह संदेश भी देता है कि औरत को पैसे के लिए बेचा जा सकता है।मुनाफा कमाने के लिए मजबूर किया जा सकता है।स्त्री का शरीर प्राणहीन होता है।उसके साथ खेला जा सकता है।बलात्कार किया जा सकता है।उसे वस्तु बनाया जा सकता है।उसे क्षतिग्रस्त किया जा सकता है।हासिल किया जा सकता है।पास रखा जा सकता है। असल में पोर्नोग्राफी संस्कार बनाती है,स्त्री के प्रति नजरिया बनाती है। यह पुरूष के स्त्री पर वर्चस्व को बनाए रखने का अस्त्र है।
पोर्न का प्रसारण अभिव्यक्ति की आजादी का दुरूपयोग है और समूचे समाज को नरक कुंड में डुबो देने की घृणिततम साजिश है। पोर्न का लक्ष्य अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है बल्कि उसका असली निशाना है औरत को गुलाम बनाना। युवाओं की ऐसी फौज तैयार करना जो औरत के खिलाफ मर्दवादी मूल्यों से लैस हो, औरत पर होने वाले हमलों के समय मूकदर्शक ही नहीं रहे बल्कि युवावर्ग बढ-चढकर औरत पर हमले करे, औरतों को निशाना बनाए,उनका शिकार करे।पोर्न औरत के जीने के अधिकार के खिलाफ की गई कार्रवाई है। पोर्न के प्रसार का अर्थ औरत की स्वतंत्रता और स्वायत्तता की विदाई है। एक मनुष्य के रूप में स्त्री की गरिमा और मान-मर्यादा के आधुनिक रूपों,मूल्यों और संस्कारों का खात्मा है। पोर्न मूलत: स्त्री के खिलाफ हमला है।
पोर्नोग्राफी ने पुरूष फैंटेसी के जरिए औरतों के खिलाफ हिंसाचार को बढावा दिया है। बलात्कार का महिमामंडन किया है। पोर्न पुंस फैंटेसी का महिमामंडन है। पोर्न इस मिथ का महिमामंडन है कि स्त्री चाहती है उसके साथ गुप्त रूप में बलात्कार किया जाए। बलात्कारी पुरूष यह मानने लगता है कि उसका बलात्कारी व्यवहार संस्कृति के वैध नियमों के तहत आता है। पोर्न का मानवीय विवेक पर सीधे हमला होता है। पोर्न एक लत है और अनेक किस्म की गंभीर सामाजिक बीमारियों का स्रोत है।
पोर्नोग्राफी स्त्री को चुप करा देती है।मातहत बनाती है।पोर्नोग्राफी असल में शब्दऔर इमेज का एक्शन है।यहां एक्शन को चित्रों और शब्दों के जरिए सम्पन्न किया जाता है।इसका देखने वाले पर असर होता है। मसलन् किसी पोर्नोग्राफी की अंतर्वस्तु में काम-क्रिया व्यापार को जब दरशाया जाता है तो इससे दर्शक में खास किस्म के भावों की सृष्टि होती है। स्त्री के प्रति संस्कार बन रहा होता है।आम तौर पर पोर्न में स्त्री और सेक्स इन दो चीजों के चित्रण पर जोर होता है। इन दोनों के ही चित्रण का लक्ष्य है स्त्री को मातहत बनाना। उसके प्रति गुलामी का बोध पैदा करना।
पोर्न के संदेश को उसके चित्र,भाषा,इमेज के परे जाकर ही समझा जा सकता है। इसमें प्रच्छन्नत: खास तरह की भाषा और काम क्रियाओं का रूपायन किया जाता है। पोर्न की वैचारिक शक्ति इतनी प्रबल होती है कि वह आलोचक की जुबान बंद कर देती है।
जिस तरह चीन ने कानून बनाकर समस्त किस्म की इंटरनेट पोर्न सामग्री को प्रसारित होने से रोका है और पोर्न के खिलाफ जेहाद छेडा हुआ है ठीक वैसा ही जेहाद हमारे यहां भी आरंभ किया जाना चाहिए। पोर्न के खिलाफ लेखकों,बुद्धिजीवियों और संस्कृतिकर्मियों को खासतौर पर अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए ,सभी दलों के सांसदों के द्वारा भारत सरकार पर यह दबाव डालना चाहिए कि पोर्न का प्रसारण तत्काल बंद किया जाए। इसके आरंभिक चरण के तौर पर प्रत्येक स्तर पर पोर्न पर पाबंदी के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जाना चाहिए। पंचायत से लेकर संसद तक,गलियों से लेकर ब्लाग लेखन के स्तर पर प्रत्येक व्यक्ति को पोर्न के बारे में लिखना चाहिए और पोर्न के खिलाफ माहौल बनाना चाहिए।
( deskaal.com पर भी देखें )
जगदीश्वर चतुर्वेदी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर। पता- jcramram@gmail.com
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sir mai aap ki baat to samajhne ki koshis to kar raha hu par agar aap mujhe 'PORN'shabd ka arth poore khulkar bata dete to shayad mai is 'NAYA JAMANA' ki baato puri tarah se samajh pata.sir maine pahli bar aapke is blog ko padha hu mai aapke hi C.U ka 2nd year me padhne wala chhatra hoo.my EMAIL ID hai pandit_nagendra@yahoo.in
जवाब देंहटाएंलीजिए. अब पोर्न के विरोध में घोषणा पत्र निकाल रहे हैं और आपकी भाषा के एम ए द्वितीय वर्ष का छात्र इसका अर्थ ही नहीं जानता. शायद वह ब्लू फिल्म का अर्थ जानता होगा. क्या विडंबना है एक अंग्रेजी के शब्द का अर्थ एक एक अंग्रेजी के शब्द से समझाया जा रहा है. हमारा कर्तव्य बनता है कि या तो इस शब्द को हिन्दी में ले आयें या फिर एक शब्द इसके लिए गढें.
जवाब देंहटाएंbehtareenpahal.sir.....
जवाब देंहटाएंwakaee,samaj apahij ho jayega agar wakt rahte rok na lagi is par...khaskar stri ke manwiy pahlu ko sire se kharij karta hai yah........
aksar buddijiwi, sahitykar,katrate hain in muddon par likhne se.pahal karne se..par iske asar ki tiwrata ko dekhte huwe.wakt rahte is par pahalkadmi karni hogi.ek haath mera bhi samarthan main .