स्वाइन फ्लू के मीडिया हंगामे के कारण ऐसा लगेगा कि यह ऐसी बीमारी है कि आते ही दबोच लेगी,इससे होने वाली मौत की खबरों को कुछ इस तरह प्रस्तुत किया जा रहा है कि आम लोगों में दहशत पैदा हो, दहशत पैदा करने और जागरूकता पैदा करने में अंतर होता है। खासकर टेलीविजन चैनलों का अब तक का रवैयया बेहद गैर जिम्मेदार है। मीडिया दहशत का ही परिणाम है कि मुंबई के स्कूल और कॉलेज सात दिन के लिए बंद कर दिए गए हैं। स्वाइन फ्लू की कहानी क्या है,यह अभी भी कल्पना का हिस्सा है। सवाल यह है कि स्वाइन फ्लू जैसा वायरस कहां से आया अथवा इस तरह के ग्लोबल वायरस कहां से आते हैं ? क्या अमेरिका के पास जैविक खजाना है उसके साथ इस तरह के वायरस के ग्लोबल हमले का कोई संबंध है ? आखिरकार ये वायरस आते कहां से हैं और इनके बारे में बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों को पहले से ही कैसे पता होता है ?
अमेरिकी प्रशासन ने स्वाइन फ्लू की दवा के साइड इफेक्ट के खिलाफ किसी भी किस्म के अदालती पचड़ों से दवा बनाने वाली कंपनियों को मुक्त कर दिया है। जबकि यह तथ्य सामने आ रहे कि स्वाइन फ्लू की जो दवा लोग ले रहे हैं उसके साइड इफेक्ट हैं और इसके दुष्परिणाम भी आने शुरू हो चुके हैं, जैसे स्वाइन फ्लू की दवा लेने के बाद संभव है दमा की शिकायत हो जाए,ब्लडप्रेशर बढ जाए,अपंग हो जाएं अथवा मौत भी हो सकती है।
स्वाइन लू की दवा के इस तरह के साइड इफेक्ट के खिलाफ अमेरिका में जबर्दस्त आक्रोश पैदा हुआ है और वहां पर दवा कंपनियों को उपभोक्ताओं के मुकदमों से बचाने के लिए ओबामा प्रशासन ने दवा कंपनियों को मुकदमेबाजी के दायरे के बाहर कर दिया है, और यह सीधे दवा कंपनियों को सामाजिक और चिकित्सकीय जिम्मेदारी से मुक्त करने वाली बात है।
रोचक तथ्य यह है कि स्वाइन फ्लू आने के एक साल पहले से ही एक दवा कंपनी ने अमेरिका में स्वाइन फ्लू के लिए दवा का पेटेंट करा लिया था, इस कंपनी का नाम है Baxter International इस कंपनी को यह कैसे मालूम था कि भविष्य में स्वाइन फ्लू आने वाला है ? इस कंपनी ने जिन बीमारियों को पेटेंट कराने का एक साल पहले आवेदन किया था वे हैं H1N1, H2N2, H3N2, H5N1, H7N7, H1N2, H9N2, H7N2, H7N3, H10N7 , pig flu H1N1, H1N2, H3N1 and H3N2 subtypes, of the dog or horse flu H7N7, H3N8 subtypes or of the avian H5N1, H7N2, H1N7, H7N3, H13N6, H5N9, H11N6, H3N8, H9N2, H5N2, H4N8, H10N7, H2N2, H8N4, H14N5, H6N5, H12N5 ।
स्वाइन फ्लू की बीमारी की दवा की सारी दुनिया में इस कदर मांग पैदा हुई है कि इस कंपनी के पास सारी दुनिया से धड़ाधड़ दवा के आर्डर आ रहे हैं और कंपनी का मुनाफा अचानक बढ़ गया है। कंपनी के सन् 2009 की दूसरी तिमाही के मुनाफे में 7.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। जबकि तीसरी तिमाही में इसमें और भी बढोतरी की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। यही वह कंपनी है जिसने मैक्सिको के लिए जीवंत स्वाइन फ्लू वायरस की सप्लाई की थी कि जिससे वहां स्वाइन फ्लू को रोका जा सके। मजेदार बात यह है कि मैक्सिको में स्वाइन फ्लू खत्म नहीं हुआ बल्कि दुनिया में फैल गया और यह सारा खेल विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग और आदेश पर किया गया। इस दवा कंपनी ने ये सारी चीजें स्वीकार भी की हैं और इस पर दुनिया के ज्ञानी ध्यानी लोग नजर भी रखे हुए है किंतु इसी बीच में स्वाइन फ्लू को सारी दुनिया में संक्रामक बीमारी के रूप में थोप दिया गया है और उपरोक्त कंपनी को बेशुमार मुनाफा कमाने का विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्यों ने मौका दे दिया है।
स्वाइन फ्लू के मामले में रोचक अन्तस्संबंध भी सामने आए हैं जैसे स्वाइन फ्लू की दवा कंपनी अमेरिकी है और मैक्सिको के जिस पशुशाला से यह वायरस फैला है वह अमेरिका की बहुराष्ट्रीय पशु मांस सप्लायर विश्व कंपनी है, उसका नाम है स्मिथ फील्ड। इसी कंपनी के मैक्सिको मांस कारखाने से यह वायरस आया है। यह कंपनी सुअर और दूसरे पशुओं का मांस बड़ी मात्रा में बेचती है और इसका मांस खाने के बाद से ही मैक्सिको में 60 प्रतिशत से ज्यादा लोगों में फ्लू , दमा,निमोनिया आदि के लक्षण पाए गए।
आरंभ में आम लोगों और मैक्सिको प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और अप्रैल 2009 से यह संक्रामक बीमारी चल रही है और इसका वायरस उपरोक्त दवा कंपनी द्वारा मैक्सिको फरवरी 2009 में भेजा गया था। आज यह वायरस सारी दुनिया को बेहाल और बेचैन किए हुए है। वैज्ञानिकों ने छह साल पहले इस तरह के वायरस के होने की संभावना पर रोशनी डालनी शुरू की थी। साथ ही यह भी अनुमान व्यक्त किया गया था कि उत्तरी अमेरिका में ही यह वायरस तेजी से फैल सकता है और यह सारा कार्य बड़े ही सुनियोजित ढ़ंग से बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां करती रही हैं और आज उनके पौ बारह हो गए हैं।
अमेरिका का सबसे ज्यादा मुनाफाखोर उद्याेग है दवा उद्योग। इस उद्योग के पास अमेरिकी सरकार के पास जो जैविक अस्त्रों का जो जखीरा है उसके इस्तेमाल के अनेक स्रोत भी हैं। अमेरिका से सारी दुनिया लंबे समय से मांग करती रही है कि वह अपने जैविक अस्त्रों को नष्ट कर दे। किंतु वह किसी की भी सुनने को तैयार नहीं है और इसी जैविक खजाने का जनता पर हमले और मुनाफाखोरी के लिए बार-बार दुरूपयोग किया जा रहा है। स्वाइन फ्लू के खिलाफ जंग को यदि तात्कालिक बीमारी के खिलाफ जंग के रूप में लड़ा जाएगा तो इसके कोई बड़े परिणाम नहीं आएंगे। हम कुछ दिन स्वाइन फ्लू को भोगेंगे ,दवा खाएंगे और स्थिर हो जाएंगे, बाद में कोई और वायरस आएगा और हमें खाना शुरू कर देगा, बेहतर होगा कि विभिन्न राजनीतिक दल और संगठन मिलकर जैविक अस्त्रों के विश्वव्यापी जखीरे को नष्ट करने और बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के गैर जिम्मेदाराना रवैयये के खिलाफ आम जनता को गोलबंद करें। दूसरा यह काम करें कि सारी दुनिया में मांस के निर्माण के जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के जो कारखाने हैं ,उनसे हमारी दुकानों पर जो मांस दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में सप्लाई किया जा रहा है उस पर पाबंदी लगायी जानी चाहिए। मांस सप्लाई करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां आज संक्रामक बीमारियों का सबसे बड़ा स्रोत हैं इनके खिलाफ आम लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इन कंपनियों का मैकडोनोल्ड जैसी फास्ट फूड कंपनियों के साथ समझौता है जिनके जरिए यह मांस और संक्रामक तत्व आसानी से हम तक पहुंच रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें