उल्लेखनीय है अब्दुल रज्जाक मुल्ला बेहद ईमानदार और साफगोई के साथ बोलने वाले सरल स्वभाव के माकपा नेता हैं जो माकपा की असली पहचान रही है,ये जनाब अनेक बार ऐसी बातें भी कह चुके हैं जो पार्टी के राज्य और केन्द्रीय नेतृत्व को रास नहीं आतीं अथवा वे पार्टी लाइन के बाहर होती हैं। अब्दुल रज्जाक मुल्ला जैसे माकपा नेताओं के कारण ही आज यह संभव भी हो पाया है कि पश्चिम बंगाल सरकार को जमीन अधिग्रहण की अपनी नीति को बुनियादी तौर पर बदलना पड़ा है।
मुल्ला साहब शुरू से ही उपजाऊ कृषियोग्य जमीन के निजी क्षेत्र के कारखाने हेतु अधिग्रहण के खिलाफ रहे हैं और यह रवैयया उन्होंने तब भी नहीं बदला जब पार्टी के सभी नेता कृषियोग्य जमीन की कारखाने हेतु खरीददारी को सिंगूर में जायज ठहरा रहे थे। हाल ही में मुल्ला साहब ने पश्चिम बंगाल सरकार की जमीन अधिग्रहण नीति घोषित की है जिसके अनुसार अब कम से कम राज्य सरकार किसी भी कृषियोग्य जमीन का अधिग्रहण नहीं कर पाएगी सिर्फ अपवाद स्वरूप एक फसली जमीन का राज्य के प्रकल्प के लिए जरूरत पड़ने पर अधिग्रहण हो सकता है,निजी कारखानों अथवा सेज बगैरह के लिए अब उपजाऊ जमीन राज्य में नहीं खरीदने दी जाएगी। दूसरी बड़ी घोषणा यह की है कि राज्य में निजी क्षेत्र सीधे जमीन खरीद सकेगा। अब राज्य सरकार बिचौलिए की भूमिका नहीं अदा करेगी। गंभीरता के साथ यदि सोचा जाए तो यही सब बातें विगत दो सालों से ममता बनर्जी और तमाम स्वयंसेवी संगठन उठाते रहे हैं। अब्दुल रज्जाक का उपरोक्त नीतिगत बयान और हाल ही में दिया गया वक्तव्य इस बात की पुष्टि भी करता है कि माकपा ने अपनी नीतियों में जन दबाव में बदलाव लाने शुरू कर दिए हैं। इससे राजनीतिक लाभ कम मिलेगा जनता को लाभ ज्यादा मिलेगा और यही सबसे महत्वपूर्ण चीज है।
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