आलोक तोमर जी आपने मूल बातों का जबाव नहीं दिया। दें भी क्यों आपको मूर्खों से बातें करने में आनंद नहीं आता। वे इस योग्य नहीं लगते । आपको अगर 'भले' लोगों से फुरसत मिले तो बातें करें, रही बात समय की तो हमारे पास ईश्वर का दिया समय,औकात,नौकरी , कुलपतियों के साथ बैठने का सुख सब कुछ है, यदि कोई चीज नहीं है तो यह कि गाली देकर तर्क करने का सलीका हमें नहीं आता, मैं हैसियत दिखाने के लिए नहीं लिख रहा,मुझे आपसे ईनाम थोडे ही लेना है और नहीं आपसे किसी के पास सिफारिश लगवानी है, रही बात योग्यता और अंकों की तो वह तब ही बताऊंगा जब आप मेरी बातों का तमीज के साथ जबाव देंगे। मैं पढाता कैसा हूं यह भी तब ही पता चलेगा जब पढने आएंगे,घर बैठे पता नहीं चलेगा। मूर्खता आपने की है और बिना पढे की है, जाकर देख लें कि कहां लिखा है फिर जबाव दें,हठी भाव से जबाव नहीं देना चाहेंगे तो यह भी आपका लोकतांत्रिक हक है,मैं आपके साथ सहानुभूति नहीं रख पा रहा हूं क्योंकि आपने जिस भाषा,असभ्यता और दंभ का प्रदर्शन किया है उसे इस संसार में कोई दुरूस्त नहीं कर पाया है,मुझे पढने,पढाने और गलत करने वालों को ,दंभियों को सबक सिखाने के लिए ही पगार मिलती है। इसके लिए विश्वविद्यालय की तरफ से पूरा समय दिया जाता है। यह काम हमें कक्षाएं समाप्त करने के बाद करना होता है, आपकी भाषा में इसे ओवरटाइम कहते हैं। यह हमारी नौकरी की शर्तों में है। दंभ और अहंकार में जीने वालों का क्या हुआ है आप अच्छी तरह जानते हैं। मेरे पास बंधक छात्र नहीं हैं। आपने पश्चिम बंगाल और जेएनयू के छात्र नहीं देखे आपने पता नहीं कहां के छात्र देखे हैं ,आप तर्क और संवाद से भागकर शांति चाहते हैं और बगैर पढे शांति चाहते हैं,गुरूजी को बीच मझधार में छोडकर शांति चाहते हैं, चलो शांति दी। लेकिन याद रहे असभ्यता आप जैसे लोगों के व्यक्तित्व का आईना है। आप चाटुकारिता और स्टेनोग्राफी को पत्रकारिता कहते हैं। आप जो कर रहे हैं या लिख रहे हैं वह सरासर बदतमीजी है और यही आपकी महानता का आधार भी है। इस आधार पर आकर आपसे कौन टक्कर ले सकता है। आप सारे मसले को व्यक्तिगत बना रहे हैं, मुद्दों का जबाव दो वरना चुप रहो । किसने कहा है हर बात पर बोलो,दोस्त थक जाओगे।
(देशकाल डॉट कॉम पर आलोक तोमर ने मेरे लेख पर जबाव दिया उसके प्रत्युत्तर में व्यक्त प्रतिक्रिया)
जगदीश्वर चतुर्वेदी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर। पता- jcramram@gmail.com
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