हाल ही में जब जी 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष मिले तो होटल के बाहर प्रदर्शनकारी प्रतिवाद कर रहे थे। इस प्रतिवाद जुलूस की खबरें सेल फोन के माध्यम के तेजी से संप्रेषित की जा रही थीं और 'ट्विटर' का खास तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। जो लोग 'ट्विटर' का इस्तेमाल कर रहे थे उनमें से एक व्यक्ति को पुलिस ने दंगा विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है । उस पर मुकदमा ठोक दिया है। इससे यह सवाल उठा है कि क्या तीव्र गति से सूचना देना अपराध है ? जी हां, अमेरिकी पुलिस की मानें तो यह अपराध है और इसके लिए पुलिस किसी भी हद तक जा सकती है। जो लोग 140 अक्षरों के 'ट्विटर' लेखन को सकारात्मक अस्त्र के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं उनके लिए यह बुरी खबर है कि 'ट्विटर' का लेखन उनको जेल भी पहुँचा सकता है।
इलियट मदीसन को उसके 'क्विन', न्यूयार्क स्थित घर से 24 सितम्बर 2009 को पुलिस उठाकर ले गयी। मदीसन का 'अपराध' है कि उसने 'ट्विटर' के जरिए खबरें जी 20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के सामने प्रतिवाद प्रदर्शन कर रहे लोगों की खबरें 'ट्विटर' के जरिए संप्रेषित कीं। इस 'अपराध' में उसे 'दंगा विरोधी'कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। मदीसन स्वभाव से मुखर अराजकतावादी है। उसने अपनी गिरफ्तारी की निंदा की है और कहा है यह सब राजनीतिक पूर्वाग्रहों के कारण हो रहा है।उसके संवैधानिक हकों का उल्लंघन है। पीटसबर्ग के एक होटल में 'जी 20' ग्रुप के देशों के प्रधानों की बैठक चल रही थी और होटल के बाहर प्रदर्शनकारी आंदोलन कर रहे थे । मदीसन प्रदर्शन में जो हो रहा था उसे 'ट्विटर' के जरिए तीव्रतम गति से संप्रेषित कर रहा था। पुलिस उसकी इन हरकतों पर नजर रखे हुए थी, पुलिस की प्रदर्शनकारियों को लेकर क्या योजना हो सकती है, पुलिस किसे गिरफ्तार कर सकती है इत्यादि सारी बातें वह 'ट्विटर' के जरिए संप्रेषित कर रहा था। पुलिस का आरोप है कि वह उसके निर्देशों को सुन रहा था और उन्हें भेज रहा था। पुलिस ने उसे पेनसिलबेनिया के कानूनों के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया है। इसके विपरीत मदीसन का मानना है कि वह कानून का उल्लंघन नहीं कर रहा था बल्कि कानूनन अभिव्यक्ति की आजादी का सही इस्तेमाल कर रहा था। उसके वकील मार्टिन आर.स्टॉलर का कहना है मदीसन के खिलाफ मुकदमा शुद्ध राजनीतिक कारणों से लगाया गया है। मदीसन को अपनी आस्थाओं के अनुरूप व्यवहार करने कारण गिरफतार किया गया है और यह सीधे 'फर्स्ट एमेंडमेंट' का उल्लंघन है। 16 अक्टूबर 2009 को ब्रोकलिन इस्टर्न जिला अदालत ने आदेश दिया है कि मदीसन के मामले की स्वतंत्र जांच की जाए। मदीसन को जिस दंगा विरोधी कानून में गिरफ्तार किया गया है उसका अमेरिका में अपवादस्वरूप इस्तेमाल होता है। लेकिन इस कानून का हमेशा राजनीतिक जुबान बंद करने के लिए ही इस्तेमाल होता रहा है। सन् 1968 में जब पहलीबार इस कानून का दुरूपयोग किया गया था तो उस समय सात लोगों को शिकागो में गिरफ्तार किया गया था । उन्हें 'शिकागो सेवन' के नाम से जाना जाता है,'शिकागो सेवन' के उस समय के वकील लिओनार्द आई.विंगल्स ने कहा है सरकार इस कानून का दुरूपयोग करके सोशल मीडिया कम्युनिकेशन का मुँह बंद करना चाहती है। 'जी 20' के प्रदर्शनकारियों का पुलिस बहाने के लिए इस्तेमाल कर रही है,असल में उसकी मंशा है सोशल मीडिया का मुँह बंद करने की। एफबीआई और जॉयन्ट टेररिज्म टास्क फोर्स ने मदीसन के घर 3 अक्टूबर 16 घंटे तक तलाशी ली और बहुत सारा सामान उठाकर ले गए। इनमें मदीसन की अराजकतावाद के बारे में लिखी किताबें ,राजनीतिक पोस्टर,गैस मास्क,उसका विवाह का सर्टीफिकेट और एक खिलौने की गुड़िया भी शामिल है। असल में अमेरिका में दंगा विरोधी कानून का बुनियादी लक्ष्य दंगाईयों को पकड़ना नहीं है बल्कि इस कानून का लक्ष्य है राजनीतिक प्रतिवाद करने वालों के दिमाग को घेराबंद करके रखना। दिमागी नियंत्रण करना। यह सामाजिक-राजनीतिक नियंत्रण का उपकरण है।
मदीसन ने कहा है कि वह अपनी सूचनाओं के संप्रेषण को सही मानता है,वह अपनी सूचनाओं का अब भी समर्थन करता है, उसने जो सूचनाएं 'ट्विटर' के जरिए भेजीं थीं वे सही हैं। ये सूचनाएं सार्वजनिक तौर पर अखबारों में अब भी उपलब्ध हैं। उसने यह भी कहा है कि कम से कम 23 ट्विटर और हैं जो 'जी20' के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन की सूचनाओं को संप्रेषित कर रहे थे। मदीसन ने कहा कि उसे इस प्रदर्शन की सूचनाएं किसी ने सेल फोन के जरिए भेजी थीं जिनका उसने इस्तेमाल किया था । उसने सीधे पुलिस की गुप्त निगरानी करके या सेंध लगाकर गुप्त सूचनाएं हासिल नहीं की हैं। मदीसन के वकील का तर्क है 'ट्विटर और स्पीच में कोई अंतर नहीं है। ट्विटर वैसे ही है जैसे आप फोन पकड़ते हैं और बातें करते हैं। 'फर्स्ट एमेंडमेंट' के द्वारा अमेरिकी नागरिक को भाषण देने की आजादी है। आमतौर पर पत्रकार जो करते हैं उससे यह भिन्न नहीं है। प्रदर्शनकारियों के बारे में पत्रकार भी रिपोर्टिंग कर रहे थे,वह भी उनकी तरह 'ट्विटर' के जरिए रिपोर्टिंग कर रहा था। अगर उसकी गिरफ्तारी को सही मान लिया जाएगा तो फिर यह किसी भी पत्रकार की गिरफ्तारी के लिए खतरनाक उदाहरण मान लिया जाएगा। इस मुकदमे के फैसले पर सारी दुनिया की आंखें लगी हैं।
Mahatvpoorn soochanaa ke liye aabhaar
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