इंटरनेट के नए कॉपीराइट कानून के प्रावधानों ने संगीत उद्योग की नींद उड़ा दी है। नए कानून के मुताबिक अब कोई संगीतकार अपने साथ म्यूजिक कंपनी के द्वारा किए गए किसी भी करार को कभी तोड़ सकता है और नया करार करने के लिए मजबूर सकता है। उल्लेखनीय है सन् सत्तर के बाद पंककल्चर के विस्फोट के बाद अमरीकी संगीत उद्योग ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अभी जितने भी कानून हैं वे सब उसी दौर के बने हैं । सन् 1976 में जो कानून बना था उसमें संगीतकार की इच्छा को तरजीह दी गयी और रेखांकित किया गया था कि वह जब भी चाहे अपने समझौते को खारिज कर सकता है। इसके तहत वह अपने समझौते की नयी शर्तों पर भी बातें कर सकता था। इसके कारण संगीतकारों का तो लाभ हुआ लेकिन संगीत उद्योग को काफी तकलीफ उठानी पड़ी। चूंकि समझौता खत्म करने की बात सन् 1976 में बने कानून में है, इसका संगीतकार लाभ उठाते रहे हैं। समग्रता में इस समस्या पर विचार करें तो पाएंगे कि अमरीकी संगीत उद्योग के संदर्भ में कॉपीराइट एक्ट 1978 के कानून लागू होते हैं।
इस प्रसंग में दो किस्म के कानून हैं, पहली कोटि में ऐसे मामले आते हैं जैसे किसी कलाकार ने 1978 के पहले अपने कॉपीराइट बेच दिए हैं अथवा 56 साल का समझौता कर लिया है। दूसरी कोटि में वे मामले आते हैं जिनके बारे में 1978 अथवा उसके बाद कॉपीराइट का समझौता हुआ है। ये समझौते 35 साल के बाद खत्म हो जाते हैं। यानी जो समझौता 1978 में हुआ था वह 2013 में खत्म होगा,वैसे ही जो समझौता 1979 में हुआ था वह 2014 में खत्म होगा। इस कानूनी प्रावधान के कारण धड़ाधड़ संगीतकार अपने समझौते समाप्त करने के बारे में संगीत कंपनियों को नोटिस भेज रहे हैं। आज संगीत चूंकि ऑन लाइन ज्यादा बिक रहा है, उसके कारण भी समस्या है साथ ही बहुत सारा संगीत मुफ्त में वितरित किया जा रहा है उसने भी परेशानी पैदा की है। जिनका संगीत बाजार में सीडी वगैरह के जरिए बिक रहा है उन्हें कोई परेशानी नहीं हो रही है वे तो मजे में नए समझौते कर रहे हैं।
अमरीकी संगीत उद्योग किस तरह का भयावह व्यवहार कर रहा है और चोरी छिपे संगीत बेचने वाले की क्या दुर्दशा हो सकती है इसके संदर्भ में एक ही उदाहरण काफी है। मिनीसोटा में दो साल पहले एक महिला कोअपने कम्प्यूटर से उतारकर किसी को संगीत लोड करके देने के आरोप में 222,000 डालर का जुर्माना देना पड़ा था।
अमेरिकी रिकॉर्डिर्ंग उद्योग काफी सक्रिय है और वे यह पता लगाते रहते हैं कि आपने कैसे संगीत हासिल किया था। अमेरिकी जनता चाहती है कि उसे सस्ता संगीत मिले मुफत संगीत मिले ,इसके विपरीत संगीत कंपनियां,रिकॉर्डिंग कंपनियां चाहती हें कि उन्हें पैसे मिलें। जिस महिला ने अपने कम्प्यूटर से मात्र 24 गाने लोड करके दे दिए उसे इसकी सजा के रूप में इतना ज्यादा जुर्माना लगाया गया है कि वह सारी जिंदगी जुर्माना देती रहेगी।
संगीत को आपस में बांटना अमेरिका में अपराध है। यहां उल्लेखनीय है कि कुछ अर्सा पहले एक रूसी कम्प्यूटर वैज्ञानिक ने अमेरिका में एक सेमीनार में अपने पर्चे में यह बताया था कि कैसे इनक्रिप्शन कोड को तोड़कर संगीत चुराया जा सकता है। इस चीज का रहस्योदघाटन करने के कारण अमेरिकी पुलिस ने उस वैज्ञानिक को पकड़कर बंद कर दिया था।
इस प्रसंग में सन् 2004 में एक विशाल वेब आधारित संगीत सर्वे किया गया था, इसमें 2,755 संगीतकारों और गीतकारों ने संगीत के व्यापक हित के सवालों पर खुलकर अपनी राय दी थी। यह सर्वे पेव इंटरनेट एंड अमेरिकन लाइफ प्रोजेक्ट के तहत किया गया। इस सर्वे में अमेरिका के अनेक संगीत संगठनों ने भी सक्रिय हिस्सा लिया था। फाइल शेयरिंग के मामले पर संगीतकारों में तेज विभाजन था । 35 फीसदी लोगों का मानना था कि फाइल शेयरिंग बुरी चीज नहीं है, खासकर संगीतकार के लिए और संगीत के लिए। जबकि 23 प्रतिशत का मानना था फाइन शेयरिंग संगीत के लिए बुरी चीज है, इससे संगीत उद्योग को क्षति पहुँचती है। इससे संगीतकार से बगैर अनुमति के लोग प्रतिलिपि तैयार कर लेते हैं। इसके अलावा 35 प्रतिशत ऐसे भी लोग थे जो दोनों ही किस्म के बयानों से सहमत थे। जब उनसे यह पूछा गया कि इंटरनेट से मुफ्त संगीत डाउनलोड करने से क्या उनके कैरियर पर बुरा असर होता है। तो 37 प्रतिशत ने कहा कि उनके कैरियर पर कोई बड़ा बुरा असर नहीं हुआ है। 35 प्रतिशत ने कहा कि इससे उनके कैरियर में मदद मिली है। मात्र 5 प्रतिशत का मानना था कि उनके कैरियर को डाडनलोडिंग प्रभावित करेगी। 15 प्रतिशत ऐसे भी लोग थे जो नहीं जानते थे कि क्या असर होगा।
सर्वे में जब यह पूछा गया कि क्या इंटरनेट से संगीत डाउनलोड करने से संगीत चोरी पर कोई असर हुआ है तो 16 प्रतिशत ने कहा कि संगीत चोरी में आई बढोतरी का इंटरनेट की डाउनलोड व्यवस्था की बड़ी भूमिका है। 21 प्रतिशत का मानना था उनके संगीत की चोरी में इसकी न्यूनतम भूमिका है। जबकि 41 प्रतिशत का मानना था संगीत चोरी पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है।
एक सवाल यह भी पूछा गया ऑनलाइन अवैध फाइल शेयरिंग के लिए किसे जिम्मेदार माना जाए,इस पर 37 प्रतिशत ने कहा जो फाइल शेयरिंग का धंधा करते हैं और जो व्यक्तिगत तौर पर फाइल चुराकर संप्रेषित करते हैं, इन दोनों को ही जिम्मेदार माना जाए। जबकि 21 प्रतिशत का मानना था किसी को दोषी न माना जाए। मात्र 17 प्रतिशत का मानना था जो अपने परिचितों को संगीत सप्लाई देते हैं उन्हें दोषी माना जाए। 12 प्रतिशत का मानना था जो फाइल चुराकर बेचते हैं उन्हें जिम्मेदार माना जाए।
इस सर्वे से एक तथ्य यह भी उभरकर आया कि संगीतकार और गीतकार एक बात पर तकरीबन एकमत थे कि फाइल शेयरिंग के कारण उनकी सर्जनात्मकता प्रभावित हो रही है। 67 प्रतिशत का मानना था कि कलाकार का कॉपीराइट सामग्री पर सम्पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए।ज्यादातर संगीतकारों और गीतकारों का सामयिक कॉपीराइट कानून पर कोई भरोसा नहीं है। यही वजह है कि संगीतकार अपने संगीत को सीधे यूजर तक बेचना चाहते हैं और आज इंटरनेट उनके लिए बड़ा प्लेटफार्म है। देखना यह है संगीत का यह बाजार और विवाद कहां जाकर ठहरता है।
इस पायरेसी के युग में भी कोई कानून कारगर हो सकता है? पर, अच्छी जानकारी मिली। आभार॥
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