मंगलवार, 24 नवंबर 2009

अमेरि‍का में उम्‍मीदों का चि‍राग






प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरि‍का की महत्‍चपूर्ण यात्रा पर हैं। यह यात्रा अनेक मायनों में महत्‍वपूर्ण है। देश की भावी संभावनाओं और नीति‍गत दि‍शा में होने वाले बुनि‍यादी परि‍वर्तनों की आधारशि‍ला इस यात्रा में रखी जानी है। यह सामान्‍य यात्रा नहीं है। इस यात्रा में तय होना है कि‍ अमेरि‍का और भारत के बीच जो परमाणु ऊर्जा समझौता हुआ है उसकी अंति‍म शक्‍ल क्‍या होगी। यह समझौता अभी भी अनेक मामलों में अधर में लटका हुआ है, देखते हैं हमारे प्रधानमंत्री क्‍या नि‍र्णय लेकर आते हैं। इसके अलावा बीमा क्षेत्र और सैन्‍य अस्‍त्र-शस्‍त्र उत्‍पादन के क्षेत्र में नि‍जी कंपनि‍यों के प्रवेश के बारे में भी इस दौरे में महत्‍वपूर्ण फैसले होने की संभावना है।
   प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी अमेरि‍का यात्रा के दौरान एक बड़ी ही महत्‍वपूर्ण बात कही है। उनका कहना है‍ अमेरि‍की डॉलर का भवि‍ष्‍य उज्‍ज्‍वल है। यह बात उन्‍होंने कल वाशिंगटन में अमेरि‍की व्‍यापारि‍यों को सम्‍बोधि‍त करते हुए कही।  यह भी कहा  आर्थिक मंदी का डॉलर की स्‍थि‍ति‍ पर अस्‍थायी असर हुआ है। डॉलर का कोई वि‍कल्‍प नहीं है। मनमोहन सिंह जब यह कह रहे थे जो अप्रत्‍यक्ष तौर पर रूस और चीन को भी संदेश दे रहे थे कि‍ अब भईया तुम लोगों को वि‍श्‍व मुद्रा चलाने के ख्‍बाब देखने बंद कर देने चाहि‍ए। उल्‍लेखनीय है कि‍ वि‍गत जी 20 देशों एक बैठक में रूस ने वैकल्‍पि‍क मुद्रा का प्रस्‍ताव रखा था, उसे चीन ने भी समर्थन दि‍या था।
प्रधानमंत्री ने कहा अमेरि‍की व्‍यापार व्‍यवस्‍था की धुरी है यहां की व्‍यापार स्‍प्रि‍ट। पावर से मुद्रा पैदा होती है और पावर का पैमाना है धैर्य। सच यह है कि‍ चीन के पास आज 2.5 ट्रि‍लि‍यन डॉलर का अतिरि‍क्‍त रिजर्व है, इसके बावजूद उन्‍होंने इसका एक अंश भी खर्च नहीं कि‍या, इस अवस्‍था के बावजूद सारी दुनि‍या की डॉलर के प्रति‍ आस्‍था कम नहीं हुई। चीन के आर्थिक वि‍कास ने वि‍श्‍व अर्थव्‍यवस्‍था को टि‍काऊ बनाने में महत्‍वपूर्ण भूमि‍का अदा की है। प्रधानमंत्री ने चीन और भारत के बीच में प्रति‍स्‍पर्धा की तमाम अटकलों को वि‍राम देते हुए कहा कि‍ दुनि‍या में दोनों के लि‍ए आर्थि‍क वि‍कास के लि‍ए पर्याप्‍त स्‍थान है।
एक अन्‍य जलसे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि‍ चीन और भारत के वि‍कास की तुलना नहीं की जा सकती। चीन ने नि‍श्‍चि‍त रूप से वि‍कास कि‍या है। भारत उनकी तुलना में भी पीछे है। लेकि‍न एक चीज महत्‍वपूर्ण है भारत ने वि‍कास और मूल्‍यों को साथ रखकर वि‍कास कि‍या है। चीन ने खाली वि‍कास कि‍या है। भारत में भारत में मानवाधि‍कारों का सम्‍मान कि‍या जाता है,कानून का शासन है। बहुभाषी,बहुजातीय और बहुधार्मि‍क समुदायों के अधि‍कारों को सम्‍मान दि‍या जाता है। ये सारे वे मूल्‍य हैं जो सकल घरेलू उत्‍पाद से  भी  ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण हैं।   


उल्‍लेखनीय है प्रधानमंत्री ने डॉलर के उज्‍ज्‍वल भवि‍ष्‍य के बारे में घोषणा ऐसे दौर में की है जि‍स समय अमेरि‍का अपने सबसे भयावह आर्थिक संकट से गुजर रहा है। समूची अमेरि‍की अर्थव्‍यवस्‍था चरमरा गयी है। अमेरि‍का पर वि‍श्‍वकर्जा और बजट घाटे का बोझ अकल्‍पनीय स्‍तर को पार कर गया है। 10 प्रति‍शत से ज्‍यादा बेकारी है। अमेरि‍की आबादी में एक अच्‍छा खासा तबका है जि‍सके पास सामान्‍य तौर पर जीने का कोई सहारा नहीं है। इस बीच अमेरि‍का में गरीबों की तादाद बढ़ी है। असुरक्षा बढ़ी है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का यह कहना कि‍ डॉलर का भवि‍ष्‍य उज्‍ज्‍वल है नि‍श्‍चि‍त रूप से मायने रखता है। इससे यह भी पता चलता है कि‍ मनमोहन सिंह जि‍स जगह से मंदी के संकट से उबरते अमेरि‍का को देख रहे हैं उस जगह से अनेक अमेरि‍की वाम बुद्धि‍जीवी नहीं देख पा रहे हैं। असल में वि‍चारधारात्‍मक कैद के कारण बहुत सारे बुद्धि‍जीवी देख ही नहीं पा रहे हैं कि‍ कि‍स तरह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नव्‍य उदारनीति‍यों के चि‍राग हैं।    ‍  ‍






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