जगदीश्वर चतुर्वेदी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर। पता- jcramram@gmail.com
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मेरे पिता जी स्वर्गीय डॉ राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ,आचार्य विष्णुकांत शास्त्री के साथ ही हिन्दी के इस युग पुरुष के छात्र थे -कलकत्ता विश्वविद्यालय में ! पिता जी अक्सर चर्चा किया करते थे ! मेरी और पिता जी की ओर से भी विनम्र श्रद्धांजलि(आत्मा वै जायते पुत्रः -इस हैसियत से !) शोक संतप्त हूँ !
जवाब देंहटाएंआज कलकत्ते का साहित्यिक परिदृश्य और कलकत्ता विश्वविद्यालय जैसा भी है उसके निर्माता प्रो. कल्याणमल लोढा थे. उनका प्रभाव डा. नगेन्द्र जैसा था. एक समय में वे सबकुछ थे. विद्वान व्यक्ति थे. अध्ययन को महत्त्व देते थे और हिन्दी के सवाल पर स्वाभिमानी भी. उनके बारे में कोलकाता विश्वविद्यालय में पढाया जाना चाहिए. मैंने उन्हें बहुत ही विवेकवान बुद्धिजीवी के रूप में देखा. मेरी पत्रिका शब्दकर्म पर उनका जो पत्र मुझे मिला था उसे मैं कभी नहीं भूल सकता. ईश्वर उनकी स्मृति को दीर्घायु करे.
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