जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, 'वर्तमान साहित्य' पत्रिका के संपादक, मार्क्सवादी साहित्य समीक्षा के महत्वपूर्ण लेखों के संकलनकर्ता और हिंदी शिक्षा जगत में शिष्यों और अनुगामियों के एक बड़े समूह के सहृदय अभिभावक डा. कुंवरपाल सिंह हमारे बीच नहीं रहे। 8 नवंबर की अपरान्ह 4 बजे लंबे अर्से की बीमारी के बाद अलीगढ़ स्थित अपने निवास पर उनका देहांत हुआ। अंतिम दिनों में उन्हें नाना प्रकार के स्नायु रोगों ने ग्रस लिया था।
कुंवरपाल जी का जन्म सन् 1938 में अलीगढ़ जनपद के एक गांव में किसान परिवार में हुआ था। हाथरस के बागला कालेज और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के ही हिंदी विभाग में अध्यापन का कार्य किया। हिंदी की लघु पत्रिकाओं में अपने नियमित लेखन के जरिये एक जनवादी समीक्षक के रूप में उनकी पहचान बनी थी। 'प्रेमचंद और जनवादी साहित्य की परंपरा', 'साहित्य और राजनीति' तथा 'साहित्य समीक्षा और मार्क्सवाद' की तरह के साहित्य के बारे में मार्क्सवादी दृष्टिकोण को पेश करने वाले महत्वपूर्ण लेखों के संकलन उन्होंने तैयार किये थे। उनके अपने लेखों के संकलन के तौर पर 'हिन्दी उपन्यास : सामाजिक चेतना', 'मार्क्सवादी सौन्दर्यशास्त्र और हिन्दी कथा-साहित्य' पुस्तकों का स्मरण किया जा सकता है।
जनवादी लेखक संघ के गठन के समय से ही वे उसके कोषाध्यक्ष रहे। पटना में हुए पांचवे राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्हें संगठन का उपाध्यक्ष बनाया गया।
कुंवरपाल जी देश के कोने-कोने में कालेजों और विश्वविद्यालयों के हिंदी विभागों में फैले हुए अपने अध्यापकीय शिष्यों से निरंतर संपर्क रखते थे और प्रगतिशील तथा जनतांत्रिक विचारों के प्रचार-प्रसार के कामों में पूरी शिद्दत से लगे रहते थे। अपने अंतिम वर्षों में बहुचर्चित साहित्यिक पत्रिका 'वर्तमान साहित्य' का दायित्व संभाला। लेखकों को व्यापक मंच प्रदान किया। अलीगढ़ में वे वामपंथी और जनवादी आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति माने जाते थे।
कुंवरपाल जी की मृत्यु हिंदी साहित्य के जनवादी आंदोलन की एक बड़ी क्षति है। जनवादी लेखक संघ, पश्चिम बंगाल उनके प्रति अपनी आंतरिक श्रध्दांजलि अर्पित करता है। उनकी पत्नी नमिता सिंह और उनके तमाम शोक-संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना प्रेषित करता है।
अरुण माहेश्वरी
कार्यकारीअध्यक्ष, जलेस, प.बं.
विनम्र श्रद्धाँजलि।
जवाब देंहटाएंDR. kunvar pal singh k nidhan ko sunkar loksangharsha parivar sridhanjali arpit karta hai
जवाब देंहटाएंउनकी जनप्रतिबद्धता को सलाम
जवाब देंहटाएंरविवार को कुंवरपाल जी के प्रिय शिष्यों में एक प्रो. सूरज पालीवाल के एसएमएस से यह दुखद खबर मिली . कुंवरपाल सिंह कम्युनिस्टों की उस तपी हुई कर्मठ पीढी का हिस्सा थे जिन्हें आम लोगों के बीच जाकर काम करना भाता था .
जवाब देंहटाएंअरे यह तो पता ही नहीं चला!!
जवाब देंहटाएंकुंवरपाल जी को विनम्र श्रद्धांजलि